छोटी दिवाली-‘नरक चतुर्दशी’
Nov. 14, 2020, 11:20 a.m. by Karuwaki Speaks ( 300 views)
छोटी दिवाली को ‘नरक चतुर्दशी’ के नाम से भी जाना जाता है. हर साल कार्तिक कृष्ण चतुदर्शी को यानी दीपावली के एक दिन पहले ‘नरक चतुर्दशी’ का त्योहार मनाया जाता है.
‘नरक चतुर्दशी’ को ही छोटी दिवाली के नाम से जाना जाता है. इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले, रात के वक्त उसी प्रकार दीए की रोशनी से रात के तिमिर को प्रकाश पुंज से दूर भगा दिया जाता है जैसे दीपावली की रात को. इस रात दीए जलाने की प्रथा के संदर्भ में कई पौराणिक कथाएं और लोकमान्यताएं हैं.
प्रचलित मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया. प्रचलित कथा के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था. इसलिए इस चतुर्दशी का नाम नरक चतुर्दशी पड़ा.
नरकासुर का वध किसी स्त्री के हाथों ही हो सकता था इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बना लिया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध किया.
नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंदी बना रखा था. नरकासुर का वध करके श्री कृष्ण ने कन्याओं को बंधन मुक्त करवाया. इन कन्याओं ने श्री कृष्ण से कहा कि समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा इसलिए वह कोई ऐसा उपाय करें जिससे उन्हें फिर से समाज में सम्मान प्राप्त हो.
समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया. नरकासुर का वध और 16 हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान की परंपरा शुरू हुई.